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जमीन में धोखाधड़ी रोकने रायपुर जिले में NGDRS लागू,क्या आप जमीन व्यापारी तो जानिए इस सिस्टम की खास बात

NGDRS/नेशनल जेनेरिक डॉक्यूमेंट रजिस्ट्रेशन सिस्टम/भारत/bharat/chhattisgarh/raipur/रायपुर/छत्तीसगढ़

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क्या है NGDRS SYSTEM

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NGDRS (नेशनल जेनेरिक डॉक्यूमेंट रजिस्ट्रेशन सिस्टम)भारत में संपत्ति पंजीकरण प्रक्रिया को डिजिटल बनाने के लिए एक ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म है। यह एक सरकारी पहल है जो डिजिटल तकनीक का उपयोग करके संपत्ति संबंधित दस्तावेजों को पंजीकृत करने और सेवाएं प्रदान करने का प्रयास कर रही है।

NGDRS के माध्यम से लोग अपनी संपत्ति से संबंधित दस्तावेजों को ऑनलाइन पंजीकृत कर सकते हैं, जिससे पेपरवर्क कम होता है और प्रक्रिया में तेजी होती है। इससे लोग अपनी संपत्ति की सख्ती से रखवाह कर सकते हैं और बिना किसी देरी के संपत्ति से संबंधित विभिन्न सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं।NGDRS प्रणाली में सुरक्षा और प्रगटी को मजबूत करने के लिए विभिन्न सुरक्षा प्राधिकृति शामिल हैं, जिससे लोग आत्मनिर्भरता के साथ अपनी संपत्ति से जुड़े विभिन्न मामलों को सरलता से हैंडल कर सकते हैं।

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छत्तीसगढ़ राजधानी रायपुर में लागू हुआ NGDRS

सरकार अब राष्ट्रीय दस्तावेज पंजीकरण प्रणाली (NGDRS) के जरिए ऐसे मामलों में कमी लाने के प्रयास में है। NGDRS प्रणाली देशभर में लागू होगी। वहीं छत्तीसगढ़ में आज से रायपुर जिले में इसे लागू किया जा रहा है।

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जानकारों की माने तो NGDRS प्रणाली के माध्यम से जमीनों के फर्जीवाड़े के मामले में कमी आएगी और सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा। संपत्ति के अधिकारी और स्वामित्व की जांच के लिए राजस्व विभाग के भुइंया पोर्टल से इंटीग्रेशन किया गया है।

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प्रदेश में सबसे ज्यादा अपराध जमीन विवाद को लेकर होते है। दलालों की भूमिका के चलते किसानों की जमीन गलत हाथों में चले जाने को लेकर केंद्र सरकार ने गंभीरता दिखाते NGDRS जैसे सिस्टम को लागू किया गया है। पूरे देश में जमीन से जुड़े मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। आए दिन जमीन की हेराफेरी या इसमें फर्जीवाड़ा होने का मामला सामने आता रहता है।

NGDRS प्रणाली में आधार, पैन नंबर इंटीग्रेशन के साथ ही बैंकों से आनलाइन भुगतान की सुविधा मिलेगी. पंजीयन, राजस्व के साथ आयकर का जुड़ाव होने से किसी प्रकार के भ्रम पर संपत्तियों का खाका साफ्टवेयर पर तत्काल दिखाई देगा। जो लोगों के लिए एक बड़ी सुविधा होगी।

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NIC( राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र)ने बनाया है सॉफ्टवेयर

(NGDRS) प्रणाली वर्तमान में देश के 11 राज्यों में लागू है. केंद्र सरकार के भूमि संसाधन विभाग की देख-रेख में एनआइसी (NIC) ने इसका सॉफ्टवेयर तैयार किया है. जिसमें सभी राज्यों का डेटा एनआइसी के क्लाउड सर्वर में सुरक्षित रखा होता है. आम लोगों के लिए NGDRS सिस्टम में आइडी-पासवर्ड की सुविधा है. इसके जरिए आम लोग ऑनलाइन भुगतान के साथ जमीनों के दस्तावेजों की जांच भी कर सकते हैं.

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NGDRS में इन मामलों में मिलेगा लाभ

पंजीयन में लगने वाला अतिरिक्त समय बचेगा।ऑनलाइन अपॉइंटमेंट, पेमेंट की सुविधा मिलेगी,राजस्व विभाग के साथ इंटीग्रेशन होने पर विक्रयशुदा खसरे और मालिकाना हक की जांच।

पक्षकार द्वारा ऑनलाइन सभी जानकारी स्वत: प्रविष्टि किए जाने से गलती की संभावना कम रहेगी।

मोबाइल पर SMS के जरिए मिलेगी पंजीयन की तारीख की जानकारी।वेबसाइट www.NGDRS.gov.in के सिटीजन पोर्टल में लॉग इन के लिए यूजर मैनुअल की होगी सुविधा जिससे फर्जीवाड़े के मामले में आएगी कमी।

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