आचार्य विद्यासागर के अंतिम यात्रा में उमड़े लोग,जैन समाज में शोक की लहर,3 दिन के उपवास के बाद ली समाधि

पंचतत्व में विलीन हुए आचार्य विद्यासागर(Jain Muni Acharya Vidyasagar)

REPUBLIC EXPRESS NEWS

आचार्य विद्यासागर महाराज ब्रह्मलीन हो गए हैं। जैन मुनि ने आज रात 2 बजकर 30 बजे समाधि ले ली है। छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित चन्द्रगिरी तीर्थ पर उन्होंने अंतिम सांस ली। आचार्य  विद्यासागर महाराज(Jain Muni Acharya Vidyasagar) के देह त्यागने से देशभर में शोक की लहर है । वे पिछले कई दिनों से अस्वस्थ थे। पूरी जागृत अवस्था में 3 दिन के उपवास के बाद समाधि हुई।

Jain Muni Acharya Vidyasagar/आचार्य विद्यासागर
फाइल फोटो

नहीं रहे ‘वर्तमान के वर्धमान’ संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महाराज, ली समाधि

आचार्य विद्यासागर ने 6 फरवरी को निर्यापक श्रमण मुनि योग सागर से चर्चा करते हुए उन्होंने संघ संबंधी सभी कार्यों से निवृत्ति ले ली और आचार्य पद का त्याग कर दिया था। उन्होंने आचार्य पद के योग्य प्रथम मुनि शिष्य निर्यापक श्रमण मुनि समय सागर महाराज को योग्य समझा और तभी उन्हें आचार्य पद दिया जावें ऐसी घोषणा कर दी थी, जिसकी विधिवत जानकारी आज दी जाएगी। आचार्य विद्यासागर के समाधि के समय उनके पास पूज्य मुनि योग सागर, समता सागर, प्रसाद सागर महाराज संघ सहित उपस्थित थे। रात को सूचना मिलते ही आचार्य श्री के हजारों शिष्य डोंगरगढ़ के लिए रवाना हो गए थे।

Jain Muni Acharya Vidyasagar/आचार्य विद्यासागर
फाइल फोटो

https://jantaserishta.com/local/chhattisgarh/acharya-vidyasagar-merged-into-panchatattva-3122874

बता दे कि आचार्य विद्यासागर महाराज का जन्म 10 अक्टूबर 1946 को कर्नाटक प्रांत के बेलगांव जिले के सदलगा गांव में हुआ था। उन्होंने 30 जून 1968 को राजस्थान के अजमेर नगर में आचार्य ज्ञान सागर महाराज से दीक्षा ली थी। आचार्य ज्ञान सागर महाराज ने उनकी कठोर तपस्या को देखते हुए उन्हें अपना आचार्य पद सौंपा था। श्री आचार्य विद्यासागर का अधिकांश समय बुंदेलखंड में व्यतीत हुआ, वे वहां के जैन समाज की भक्ति और समर्पण से बहुत प्रभावित थे। आचार्य विद्यासागर ने लगभग 350 दीक्षाएं दी है, जिनमें शिक्षित युवाओं की संख्या अधिक है। संघस्त निर्यापक मुनि समता सागर महाराज ने कहा कि यह धर्म संकट की घड़ी है पूरे विश्व को अपूरणीय क्षति हुई है एक कालखंड थम गया है हर आंख में आंसू है, देह का वियोग हुआ है। गुरुवर आचार्य विद्यासागर (Jain Muni Acharya Vidyasagar)आज भी हमारे बीच मौजूद हैं। दिगंबर जैन समाज सामाजिक संसद अध्यक्ष राजकुमार पाटोदी एवं प्रचार प्रमुख सतीश जैन ने बताया कि इस सदी के महान संत देह से विदेह की यात्रा कर सिद्धत्व की ओर अग्रसर हुए, समग्र जैन समाज ने आचार्य श्री को अपनी विनयांजलि अर्पित की है ।

रामलला के मंदिर में हेमा मालिनी ने भरतनाट्यम कर जीता दर्शकों का दिल/Jain Muni Acharya Vidyasagar/आचार्य विद्यासागर
फाइल फोटो

https://jantaserishta.com/entertainment/hema-malini-won-the-hearts-of-the-audience-by-performing-bharatanatyam-in-ramlalas-temple-3122906

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *